पॉलिसी या क्लेम रिजेक्ट होने की वजह जानना जरूरी
नवभारतटाइम्स.कॉम | Mar 30, 2014, 01.00AM IST
मैंने एक इंश्योरेंस कंपनी से मेडिक्लेम पॉलिसी के लिए अप्लाई किया था। इसके लिए मैंने 4620 रुपए का चेक कंपनी के नाम जारी किया।
मेरे बैंक अकाउंट में भरपूर पैसा था, लेकिन कंपनी ने यह कहते
हुए मेरी पॉलिसी कैंसल कर दी कि मेरे चेक को मेरे बैंक ने 'अन्य
कारण' से रिजेक्ट कर दिया है। मैं चाहता हूं कि कंपनी फिर से
चेक लेकर उस पॉलिसी को रिन्यू कर दे। क्या यह मुमकिन है? - आदेश कुमार
इंश्योरेंस कंपनियों के नियम के अनुसार, प्रपोजल
फॉर्म में ही लिखा रहता है कि पॉलिसी का जारी होना चेक के भुगतान पर निर्भर करेगा।
चूंकि चेक आपके बैंक ने लौटा दिया, ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी
का दोष नहीं होगा। आप अपने बैंक से पता करें कि आखिर आपके चेक को डिसऑनर क्यों
किया गया? बैंक की गलती होने पर उन पर सेवा में कमी का मामला
बनता है, क्योंकि आपको पॉलिसी नहीं मिलने से कई फायदों का
नुकसान हुआ है। इंश्योरेंस कंपनी के नियमों के अनुसार, यदि
पॉलिसी सात दिन या किसी खास कंपनी का जितने दिन का भी नियम हो, के भीतर रिन्यू ना कराई जाए तो बाद में बनी पॉलिसी को फ्रेश पॉलिसी माना
जाता है, जिसमें आप कई फायदों से वंचित रहते हैं। आप बैंक से
पता करें कि 'अन्य कारण' क्या था। हो
सकता है कि आपके हस्ताक्षर मेल न खा रहे हों या कोई और भी वाजिब वजह हो।
मैंने एक इंश्योरेंस कंपनी से क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी खरीदी थी। 5
लाख रुपए के सम एश्योर्ड वाली इस पॉलिसी में 15 क्रिटिकल बीमारियां कवर थीं, जिनमें कैंसर भी शामिल
था। मैंने इस साल जनवरी तक के सारे प्रीमियम समय पर जमा किए हैं। दिक्कत यह है कि
पिछले साल मुझे अपने गाल में सूजन-सी महसूस हुई। मैं डॉक्टर के पास गया। जांच के
बाद डॉक्टर ने बताया कि मुझे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा है। बायोप्सी के बाद मुझे
सर्जरी की सलाह दी गई। पिछले साल ही अक्टूबर में मैंने ऑपरेशन भी करवा लिया।
ऑपरेशन और रेडियो थैरपी पर कुल खर्च 5 लाख रुपए आया। मैंने
क्लेम के लिए जरूरी सारे कागजात दिसंबर 2013 में इंश्योरेंस
कंपनी के पास जमा कर दिए, लेकिन कंपनी ने यह कहते हुए मेरा
क्लेम खारिज कर दिया कि वह बीमारी मेरी इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं थी,
जिसका इलाज हुआ है। कृपया सुझाव दें कि मुझे क्या करना चाहिए?
-मनोज राणा
आपके दावे को इस आधार पर निरस्त किया गया है कि
आपका इलाज जिस बीमारी के लिए हुआ है,
वह उन 13 बीमारियों में नहीं आती। ऐसे में आप
किसी डॉक्टर से इंश्योरेंस पेपर में जिन-जिन बीमारियों का उल्लेख है और आपको जो
बीमारी हुई थी, उनका मिलान कराएं। यदि उस सूची में आपकी इलाज
की गई बीमारी है तो आप उनके फैसले के विरुद्ध रेग्युलेटरी अथॉरिटी यानी इरडा को
लिखें। आप कंस्यूमर कोर्ट भी जा सकते हैं। हां, यह भी याद
रखें कि यदि आपको हुई बीमारी, जिसका इलाज कराया गया है,
पॉलिसी की सूची में नहीं थी तो इंश्योरेंस कंपनी दोषी नहीं होगी।
शिकायत कहां करेंः अपने इलाके के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में। वेबसाइट http://ncdrc.nic.in/ पर जाएं। होमपेज के लेफ्ट साइड में District
Forums पर क्लिक करें और अपने इलाके के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की
जानकारी हासिल करें।
हमें लिखेंः इंश्योरेंस से जुड़े सवाल आप हमें sundaynbt@gmail.com पर भेज सकते हैं। सब्जेक्ट में लिखेंः consumer column
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