प्लेसमेंट एजेंसी
के वादे ओर आप
नोकरी की सो प्रतिशत गारंटी-रोज छपता है समाचार पत्रो मे
।बस आपको 25000/ रुपये जमा कराने होंगे ओर नोकरी मिलने के बाद तीन महीने की सैलरी
देनी होगी ।
साथ ही लिखा रहेगा यदि तीन साल का कंम्पुटर का कोर्स अमुक
संस्थान से करे तो पाँच से सात लाख का
पकेज ।
ऐसा नहीं है कि अच्छी एजेंसिया काम नहीं कर रही पर सावधान होने की बात तब होती
है जब सो प्रतिशत गारंटी के फेर मे फसने लगते है । नोकरी की गारंटी दी ही नहीं जा
सकती क्योकि हर नोकरी के लिए अलग योग्यता होती है ओर कानूनी तोर पर भी किसी को
नोकरी देने के लिए मजबूर भी नहीं किया जा सकता । दूसरी बात, ऐसे
वादो की लिस्ट मे उनकी शर्ते ऐसी होती है जिसे बिना पड़े आप फस सकते है ।जैसे तीन
महीने की सैलरी ले लेने के बाद उनका दायित्व समाप्त हो जाता है। नोकरी मिलने
के छह महीने मे ही किसी भी कारण से नोकरी जा सकती है , जैसे आपको
बॉन्ड भरने के लिए कह दिया जाए ,या नोकरी की शर्तो मे परिवर्तन कर दिया जाए ।एक बार
कुछ शर्तो पर यदि नोकरी दी जाती है तो बाद मे शर्ते बदली नहीं जा सकती पर निर्भर
करता है आप ने अजेंसी के साथ किन शर्तो पर
हस्ताक्षर किए है।
सुमन ने इसी प्रकार के वादे पर दस हज़ार जमा कर अपना नाम रजिस्टर कराया । साल का कम्प्युटर
का कोर्स समाप्त होने के बाद उसे इंटरव्यू के लिए भेजा गया –नोकरी टिकेटिंग की थी
जिसके लिए टिकेटिंग का कोर्स किए हुए उम्मीदवार भी थे । दूसरी बार उसे रेसेप्शन पर
काम करने के लिए कहा गया जबकी उसकी
स्पोकेन इंग्लिश अछी
नहीं थी । इसी तरह गिन कर उसे सात जगह भेजा गया –सभी असंगत नोकरिया थी ,नहीं
मिली । तर्क दिया गया –आपको योगय नहीं पाया गया ।
ऐसे मामले जब उपभोक्ता अदालतों मे आने लगे तो गारंटी शब्द
पर अदालतों ने आपती उठाई । जिन एजेसियों ने गारंटी कहा ओर नोकरी नहीं दी उन्हे
कोर्स की पूरी राशी लोटाने के साथ समय
नष्ट होने के लिए भी मुआवजे के भी आदेश
दिये । इसलिए अब प्लेसमेंट एजेसियों ने गारंटी के स्थान पर जॉब असिस्टेंस लिखना
शुरू कर दिया जिसकी खाना पूर्ती उपर दिये सुमन के केस की तरह की जाने लगी है।
इस प्रकार के बहुत से विज्ञापन आपको इंटरनेट पर मिलते है ।
पैसा जमा करने के बाद आपको उस वेब साइट का कही ता पता नहीं मिलेगा ओर आप अपना पैसा
क्रेडिट कार्ड से दे चुके होते है । आम आदमी को समझ नहीं आता कहा शिकायत करे ।
गूगल ने एक मामले मे अदालत के सामने स्पष्ट किया कि वह एक सर्च इंजन है ओर जो भी
कोई अपना विज्ञापन देता है उसकी जिमेदारी उसकी नहीं होती। यह सौदा करने वाले का
दायित्व है कि वह पैसा देने से पहले वैबसाइट की पूरी जानकारी ले ले ,उनके
व्यापार का जायजा ले ले ,पता जान ले । वर्ष 2000 मे बने इंन्फ़ोर्माशन
टेक्नालजी एक्ट के तहत ई -मेल से किए गए संवाद को कानूनी पहचान
दी गई है किन्तु वैबसाइट के गायब हो जाने पर पकड़ना कठिन होता है। किन्तु यदि आपके
पास पता है तो भ्रामक विज्ञापन देने के लिए आप उपभोक्ता अदालत जा सकते है। इसके लिए
विज्ञापन की प्रति या ओर कोई प्रमाण
आवश्यक होता है ।
इससे भी बड़ा कारोबार घरेलू नोकर दिलवाने का हो रहा है । आप
केवल फोन नंबर जानते होते है । तीस य पेनतीस हज़ार तक खर्च करके आपको नोकर दिया
जाता है जो एक सप्ताह मे ही भाग जाता है । जब आप दी गई रसीद का पता ढूंढते ते है
तो किसी तंग गली मे किसी कोने मे एक छोटी सी टेबल ओर एक चपरासी मिलेगा जो कुछ भी बताने से इंकार
करेगा । एक ही लड़की के पास कई फोन होंगे जो अलग अलग अजेंसियों के लिए लायजनी करती
है ओर कभी पकड़ मे नहीं आती । उपभोक्ता अदालतों ने फोन नंबर के माध्यम से ऐसी एजेंसियो के विरुद्ध आदेश दिये है ।जांच पड़ताल से यह भी
सामने आया है कि यह एजेंसिया घर की व्यवस्था को देख केर मेड सर्वेंट सप्लाइ करती
है ।अव्यवस्थित बिसनेस्स परिवार से चोरी करके भागना आसान होता है । थोड़े व्यवस्थित
ओर हिसाब किताब रखने वाले परिवारों से सैलरी अध्क मांगी जाती है ओर उनसे गड़बड़ करने
का खतरा नहीं उठाती यह एजेंसिया । कुछ भयंकर सचाईया सामने आई है कि जहा दोनों पति
पत्नी कामकाजी होते है उनके छोटे बच्चे भीख मांगने के लिए सड़क के किनारे बैठी भिखारिन की गोदी मे बैठे मिले है जो शाम तक लोटा
दिये जाते है । संभ्रांत ओर पड़े लिखे
परिवारो को यह एजेंसिया मेड सप्लाइ करने
से कतराती है ।यह सब जानकारी एजेसियों के लिए लायसोन का काम केरने वाली महिलाओ से मिली ।
इस समस्त चर्चा को देखते हुए आवश्यक है कुछ सावधानीय बरतना –
1
प्लासेमेंट अजेनसी से संपर्क केरने से पहले उनके ओफ़ीस का
पता ,कारोबार की जानकारी अवश्ये
ले ,ओफ़्फ़िसे को प्रत्यक्ष भी देखे ।
2
शर्तो को ध्यान से पड़े तभी हस्ताक्षर करे ।यह जान ले कि
नोकरी दिलवाने की गारंटी कानूनन दी ही नहीं जा सकती पर कोई वादा करता है ओर पूरा
नहीं करता तो उपभोक्ता अदालत जा सकते है ।
3
घरेलू नॉकर के लिए केवल फोने पर भरोसा न करे । प्रत्यक्ष
ओफिस देखे फोने नबरो की जांच करे ओर पोलिस इंकवारी के बिना नोकर न रखे क्योकि कुछ गलत होने पर पोलिस की
इंकवरी रिपोर्ट के बिना आप कुछ भी नहीं कर
सकेंगे। फ़्राड एजेंसिया चलाने वालो की
शिकायत लेने से पहले पोलिस का पहला प्रश्न यही होता है ।
4 यदि आपके पास ठीक पता है तो आप इन एजेंसियो के वीरुध भी सेवा मे कमी की शिकायत उपभोक्ता अदालत मे केर सकते है।
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