(भाग -11)
जब मेडिकल नेगलिजेंस
का संदेह हो तो क्या करे-
हस्पताल या डाक्टर
का कुछ बिल अवश्य चुकाए क्योकि पैसे न
देने पर आप उपभोक्ता नहीं बनते।
डिस्चार्ज समरी के
साथ साथ ट्रीटमंट रेकार्ड भी मांगे ,न
मिले तो दवाइयो के बिल पास रखे ।
संबधित बीमारी के
लक्षणो तथा इलाज से संबधी कुछ जानकारी अपने पहचान के डाक्टर से या नेट की सहायता
से ले ले ।
इलाज करने वाले
डाक्टर का नाम भी जान ले ।
यदि इलाज के सही न
होने का संदेह हो तो दूसरी राय के साथ ही
डाक्टर या हॉस्पिटल बादल दे ओर रोगी की तरफ ध्यान दे । रोगी का इलाज पूरा होने पर
अनय बातो के बारे मे सोचे ।
डाक्टर ,नर्स या स्टाफ उपलब्ध न होने पर एमेर्जेंसी
मे जाए ,संबद्ध
डाक्टर के फोन नंबर ले, उन्हे संपर्क करे ।इसकी सूचना
प्रशासन को दे ।
यदि टेस्ट रिपोर्ट
की एमेर्जेंसी हो तो टेस्टिंग लेब को बताए, संबद्ध डाक्टर से तुरत रिपोर्ट की सिफ़ारिश
कराये ।रिपोर्ट मिलने मे सामानय से अधिक समय लगने पर एम एस को रिपोर्ट करे ।
एक्सपायरी दवा के
इस्तेमाल पर तुरंत शिकायत करे।
मेडिकल नेगलिजेंस की
शिकायत कब ओर कहाँ हो सकती है
जब आपने किसी
प्राइवेट हॉस्पिटल नर्सिंग होम या डाक्टर से इलाज कराया हो ओर उसके लिए आपने ,या आपके नियोक्ता ने या बीमा कंपनी ने आपके
इलाज के पैसे दिये हो । सरकारी हस्पताल जहा प्राइवेट इलाज भी होता हो पर आपने पैसे
न भी दिये हो तो भी आप उपभोक्ता हो सकते
है ओर निम्नलिखित को शिकायत कर सकते है । -
हॉस्पिटल के मेडिकल
सुपरीटेंडेंट को लिख कर दे तथा मामले की जांच का अनुरोध करे । अपने नुकसान की
भरपाई की मांग कर सकते है ।
राज्ये की मेडिकल
काउंसिल को शिकायत करे तथा मामले की जांच की मांग करे । इंडियन मेडिकल काउंसिल को
शिकायत कर सकते है ।यह दोनों मेडिकल
काउंसिल अनुशासनिक बॉडी है जो दोषी डाक्टर, हॉस्पिटल या नर्सिंग होम के विरुध अपनी
आचार संहिता के अनुसार अनुशासनिक कार्येवाही कर सकती है ।
उपभोक्ता अदालत मे
लापेरवाही का मामला दर्ज केर सकते है ओर इलाज की राशी ,अपने नुकसान की भरपाई ,मानसिक कष्ट के लिए मुआवजे तथा कानूनी खर्च की मांग केर सकते है ।
जब आपके पास पूरे
दस्तावेज़ न हो तो क्या करे
कई बार हॉस्पिटल से आपको
पूरे दस्तावेज़ नहीं मिलते या डाक्टर का
नाम तक पता नहीं चलता । ऐसे मे यदि आप उपभोक्ता अदालत जाना चाहे तो आपके पास
उपलब्ध सभी बातो के विवरण के साथ शिकायत
केरते हुए शिकायत लिखे ओर अदालत से ट्रीटमेंट पेपेर्स मगाने के लिए ओर डाक्टर का
नाम पता बताने के लिए हॉस्पिटल को निर्देश देने के लिए कहे ।हॉस्पिटल का दायित्व
बंता है कि वह ट्रीटिंग डाक्टर के बारे मे बताए ताकि उसे पार्टी बनाया जा सके ।
अदालत दूसरी पार्टी से सभी दस्तावेजो की मांग कर सकती है ।
एक्सपर्ट ओपिनियन
कैसे ली जाए
किसी भी स्थान पर
मेडिकल नेगलिजेनसे प्रमाणित करने के लिए एक्सपेर्ट ओपिनियन की आवश्यकता होती है । यह
ओपिनियन आप स्वयं भी किसी डाक्टर से या किसी सरकारी हॉस्पिटल से ले सकते है। यदि
ऐसा संभव न हो सके तो अदालत मे अपना केस दर्ज करके अदालत से ही एक्सपेर्ट ओपिनियन मगाने
की प्रार्थना कर सकते है ।अदालत किसी सरकारी हॉस्पिटल को एक्सपेर्ट ओपिनियन के लिए
ट्रीटमंट रेकॉर्ड भेज कर मगा सकती है । सरकारी हॉस्पिटल या कभी कभी मेडिकल काउंसिल
भी अपनी ओपिनियन देती है ।इसके लिए बीमारी से
संबद्ध विभाग मे एक समिति गठित की जाती
है तथा डाक्टरों की टीम आपके दस्तावेज़ देख कर अपनी राय देते है । यद्यपि एक्सपर्ट ओपिनियन बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज़ माना जाता है
तथापि आवश्यक नहीं कि वही अदालत का फैसला
बन जाए । अदालत एक से अधिक रिपोर्ट भी मगा
सकती है तथा अपने विवेक के आधार पर निर्णये देती है ।
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